*🍂 राष्ट्रकवि दिनकर जी की रचना 🍂*

*ये धुंध कुहासा छंटने दो, रातों का राज्य सिमटने दो*
*प्रकृति का रूप निखरने दो, फागुन का रंग बिखरने दो,*

*प्रकृति दुल्हन का रूप धर जब स्नेह – सुधा बरसायेगी*
*शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी,*

*तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि, नव वर्ष मनाया जायेगा*
*आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर, जय-गान सुनाया जायेगा...*

*विक्रम संवत २०७८ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (१३ अप्रैल २०२१ )*
*🍁भारतीय नव वर्ष की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं🍁*

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